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एक बहुत ही मीठा बोला व्यक्ति था । हर किसी से बड़े प्रेम का व्यवहार करता था । कभी सपने में भी किसी का दिल नहीं दुखाता था । न ही कभी कोई मंदा करम करता था । एक बार नगर में कोई घटना घट गई । किसी ने उसका नाम ले दिया और पुलिस उसे पकड़ कर ले गयी । उसे अदालत में पेश किया गया जहां उसने आपने आपको निर्दोष साबित करने का भरसक प्रयास किया । अदालत ने बड़े ध्यान से उसकी बातों को सुना और आदेश दिया कि, "तुम अपनी बात साबित करने के लिए कोई गवाह ले आओ ।" उसके पुलिस द्वारा पकड़े जाने के कारण नगर मे उसकी खूब बदनामी हो गई और ज्यादातर लोग उस से बात करने से कतराने लगे । जब अदालत द्वारा दी गई तारीख आई तो उसने अपने कुछ दोस्तों को अदालत में उसके हित मे गवाही देने को कहा । उन सभी ने बहाने बना कर उसे इनकार कर दिया फिर उसने अपने परिवार वालो व रिश्तेदारों को कहा ।उन्होंने कहा कि, "हम तुम्हारे साथ अदालत के दरवाजे तक तो जा सकते हैं ।" पर उन्होंने भी अंदर जाने और गवाही देने से इनकार कर दिया । वह बहुत ही दुखी मन से सड़क पर जा रहा था । रास्ते में उसे एक व्यक्ति मिला जिसके साथ उसके कोई घनिष्ठ सबंध नही थे केवल रास्ते मे जाते हुए ही राम राम होती थी । उस व्यक्ति ने जब इसको उदास देखा तो सोचा कि इसकी उदासी का कारण जानना चाहिए ।
उस व्यक्ति के पूछने पर उसने उसे सारी बात बताई । बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा कि वह उसके साथ अदालत में जायेगा और उसके हक मे बयान भी देगा। पहले व्यक्ति ने यह कहकर उसकी मदद लेने से इनकार कर दिया कि उनके कोई इतने घनिष्ठ सबंध नही हैं कि वह उसकी मदद ले सके। परंतु दूसरा व्यक्ति अपनी जिद पर अड़ा रहा और उसके साथ अदालत मे जा कर उस के हक में बयान दिया जिस से वह व्यक्ति बाइज्ज़त बरी हो गया । इस कहानी में सब से आखिर में मिलने वाले व्यक्ति से भाव प्रभु से है, जिसके स्थान पर हम केवल रास्ते में चलते हुए ही माथा टेकते हैं । न तो उसकी बात मानते हैं न ही उससे घनिष्ठता करते हैं । परन्तु वह हमेशा हमारी मदद करता है । हमे जमों की मार से बचाता है और चौरासी के गेड़ से निकालता है। हम उस परमात्मा को विसार कर दुनिया मे, बाल बच्चों में,
रिश्तेदारों मे ही मस्त रहते है, जो हमारा साथ केवल शमशान तक ही दे सकते हैं। अब फैसल हमें लेना है कि हमने प्रभु से घनिष्ठता करनी है या दुनिया से....
उस व्यक्ति के पूछने पर उसने उसे सारी बात बताई । बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा कि वह उसके साथ अदालत में जायेगा और उसके हक मे बयान भी देगा। पहले व्यक्ति ने यह कहकर उसकी मदद लेने से इनकार कर दिया कि उनके कोई इतने घनिष्ठ सबंध नही हैं कि वह उसकी मदद ले सके। परंतु दूसरा व्यक्ति अपनी जिद पर अड़ा रहा और उसके साथ अदालत मे जा कर उस के हक में बयान दिया जिस से वह व्यक्ति बाइज्ज़त बरी हो गया । इस कहानी में सब से आखिर में मिलने वाले व्यक्ति से भाव प्रभु से है, जिसके स्थान पर हम केवल रास्ते में चलते हुए ही माथा टेकते हैं । न तो उसकी बात मानते हैं न ही उससे घनिष्ठता करते हैं । परन्तु वह हमेशा हमारी मदद करता है । हमे जमों की मार से बचाता है और चौरासी के गेड़ से निकालता है। हम उस परमात्मा को विसार कर दुनिया मे, बाल बच्चों में,
रिश्तेदारों मे ही मस्त रहते है, जो हमारा साथ केवल शमशान तक ही दे सकते हैं। अब फैसल हमें लेना है कि हमने प्रभु से घनिष्ठता करनी है या दुनिया से....
It was a very sweet person. Everyone used to behave with great love. Never hurt someone's heart even in dreams. He never had a laggard. Once there was an incident in the city. Someone took his name and the police seized him. He was presented in the court where he tried his best to prove you innocent. The Court listened to his words and ordered that, "bring a witness to you to prove your word." " because he was caught by the police, he had a lot of shame in the city, and most of the people were trying to talk to him. When the date was given by the court, he asked some of his friends to testify to his interest in the court. All of them refused to make excuses and then said to his family and relatives. They said, " we can go to the door of the court with you. " but they also refused to go inside and testify. He was going to the street with a very sad mind. On the way he met a person with whom he had no close relationship, only ram ram was in the way. When he saw him depressed, he thought that the reason for his sadness should be known.
When he asked him, he told him everything. He said that he would go to court with him and put a statement in his right. The first person refused to help him by saying that he had no close relationship to help him. But the second man insisted on his obduracy and told him to go to the court on the right of which he had become generous. In this story, all the people who meet in the story are from the Lord, in whose place we head the head only on the way. They do not believe in him, nor do they rapport him. But he always helps us. He saves us from the jamōṁ and brings out the caurāsī of the chaurasi. We will come to the God in the world and in the world, in children's children,
The relatives remain cool in the relatives, which can only give us to the crematorium. Now we decide that we have to rapport with the Lord or from the world...
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