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Sikandar itehass ke giine chuune mahan yoda(raja) main eik tha, Jiska naam sari dunyea janti hai. Eik baar SIKANADAR apne yudh abhiyan se registhan ke rashte wapis lott rahha tha,
To uske eik senna( miltory) adhikari ne eik pahounche hoye "FAKEER" ke ware main batayea aur kaha ki unka sathan nazdeek hai, Yadi app chahe to unke darshan kar le.
SIKANDAR ne eik sena adhikari ko adesh diya ki us "FAKEER" ko siphayi bhej kar yahi bulla liya jaye, Jab siphayi "FAKEER" ko laine gye to
"FAKEER" ne yeh keh kar anne se manna kar diya ki weh kissi SIKANDAR ko nhi janta .
SIKANDAR ko bura to lagga par karodh ko peekar woh agle din subah khud hi apne ghode par baithakr us "FAKEER" ke pass ya pahouncha, Uske angrkashak ne "FAKEER" ko
jakar batayea ki SIKANDAR mahan tumshe milne aye hai. SIKNANDAR poori tarah raja ki besh(clothe) main tha , Fir v use dekh "FAKEER" na to sman main uth kar khada huya aur na hi
salam kiya, Balki use dekh kar hasne lagga.
SIKANDAR ko apman mehsoos juya aur weh gusse hokar "FAKEER" se bola-"ya to tum mujhe jante nhi ho, ya fir tumhari mout ayi hai, warna SIKANDAR mahan ke samne
yu hasne ki jarrorat na karte |"
Yeh sun kar "FAKEER" aur jor- jor se hasne lagga aur bola -" SIKNADAR mahan ! Par mujhe to tujhmain koi mahanta nazar nhi atti..Mujhe to tum badde hi deen-heen aur
darind(julam karne wala) malum hote ho...!"
SIKANDAR bola-"murakh "FAKEER"! Tujhe malum nhi hai ki maini poori dunyea jeet lyi hai aur har koi meri talwar ka loha manta hai !"
"FAKEER" bola -"Aise kuch nhi hai, Tum eik sadharan insan hi ho..Fir v tum kehte ho main eik question puctha hu, Uska uttar do. Man lo tum kissi registhan main fass gye aur
door-door tak tumahre aas-pass koi pani ka sarot nhi hai aur koi v hariyali nhi hai jahan tum pani khoj sakko to tum eik gilas pani ke liye is raj main se kya de dogye ?"
SIKANDAR ne kuch der soch-vichar kiya fir bola-" Main apna adha rajay de dunga..."
"FAKEER"-"Aur agar main adhe rajay main na mannu to ?"
SIKANDAR ne fir soch aaur bola-" Itni boori halat main to main apna poora rajay de dunga..."
"FAKEER" fir hasne lagga aur bola-"iska matlab hai tere rajay ka mula(price) hai" bus eik gilas pani", Aur tu khud ko mahan kehta ghum raha hai....!"
"Arre murakh","FAKEER" aggye bola," Waqat parh jaye to eik gilas pani ke liye v tera rajay kafi nhi hoga fir registhan main khoob chilanna,'MAHAN SIKANDAR MAHAN SIKANDAR'
par yahan registhan main koi nhi sunega ! Teri sari mahanta bus eik bhram(imagine) hai, aur kuch nhi !"
SIKANDAR ko apni bhool ka ehsah ho gyea, Uska garv chur-chur ho chuka tha. Usne "FAKEER" se mafi mangi aur wapis rajhdhani lott gyea.
सिकंदर इतिहास के उन गिने-चुने महान योद्धाओं में से एक है, जिसका नाम सारी दुनिया जानती है. एक बार जब सिकंदर अपने युद्ध अभियान से रेगिस्तान के रास्ते वापस लौट रहा था तो उसके एक सैन्य अधिकारी ने एक पहुंचे हुए फ़कीर के बारे में बताया और कहा कि उनका स्थान नजदीक ही है, यदि आप चाहें तो उनके दर्शन कर लें.
सिकंदर ने सैन्य अधिकारी को आदेश दिया कि उस फकीर को सिपाही भेजकर यहीं बुलवा ले. जब सिपाही फकीर को लेने गए तो फकीर ने यह कहकर आने से मना कर दिया कि वह किसी सिकंदर को नहीं जानता.
सिकंदर को बुरा तो लगा परन्तु क्रोध को पीकर वह अगले दिन सुबह खुद ही अपने घोड़े पर बैठकर फ़कीर के स्थान पर जा पहुंचा.
उसके अंगरक्षक ने फ़कीर को जाकर बताया कि सिकंदर महान तुमसे मिलने आये हैं. सिकंदर पूरी तरह राजाओं की वेशभूषा में था फिर भी उसे देखकर फ़कीर न तो सम्मान में उठ कर खड़ा हुआ और न ही सलाम किया, बल्कि उलटे उसे देखकर हँसने और लगा.
सिकंदर को अपमान महसूस हुआ और वह क्रोधित होकर फ़कीर से बोला – “या तो तुम मुझे जानते नहीं हो, या फिर तुम्हारी मौत आई है वरना सिकंदर महान के सामने यूँ हँसने की जुर्रत न करते !”
यह सुनकर फ़कीर और भी जोर-जोर से हँसने लगा और बोला – “सिकंदर महान ! पर मुझे तो तुममें कोई महानता नज़र नहीं आती … मुझे तो तुम बड़े ही दीन-हीन और दरिद्र मालूम होते हो …!”
सिकंदर बोला – “मूर्ख फ़कीर ! तुझे मालूम नहीं है कि मैंने पूरी दुनिया को जीत लिया है और हर कोई मेरी तलवार का लोहा मानता है !”
फ़कीर बोला – “ऐसा कुछ नहीं है, तुम एक साधारण इंसान ही हो … फिर भी तुम कहते हो तो मैं एक प्रश्न पूछता हूँ, उसका उत्तर दो. मान लो तुम किसी रेगिस्तान मे फंस गये और दूर दूर तक तुम्हारे आस पास कोई पानी का स्रोत नहीं है और कोई भी हरियाली नहीं है जहाँ तुम पानी खोज सको तो तुम एक गिलास पानी के लिए इस राज्य में से क्या दे दोगे ?”
सिकंदर ने कुछ देर सोच-विचार किया फिर बोला – “मैं अपना आधा राज्य दे दूंगा …”
फ़कीर – “और अगर मैं आधे राज्य में न मानूँ तो ?”
सिकंदर ने फिर सोचा और बोला – “इतनी बुरी हालत में तो मैं अपना पूरा राज्य भी दे दूंगा …”
फ़कीर फिर हँसने लगा और बोला – “इसका मतलब है तेरे राज्य का कुल मूल्य है ‘बस एक गिलास पानी’, और तू खुद को महान कहता घूम रहा है …!”
“अरे मूर्ख”, फ़कीर आगे बोला, ” वक़्त पड़ जाये तो एक गिलास पानी के लिए भी तेरा राज्य काफी नहीं होगा फिर रेगिस्तान में खूब चिल्लाना ‘महान सिकंदर महान सिकंदर’ पर यहाँ रेगिस्तान में कोई नहीं सुनेगा ! तेरी सारी महानता बस एक भ्रम है, और कुछ नहीं !”
सिकंदर को अपनी भूल का अहसास हो गया. उसका गर्व चूर-चूर हो चुका था. उसने फकीर से क्षमा मांगी और वापस राजधानी लौट गया.
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