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फ़क़ीर और खुदा का रिश्ताहज़रत मूसा खुदा से बातें करने के लिए रोज़ पहाड़ पर जाया करते थे..एक दिन हज़रत मूसा को रास्ते मेंएक औरत मिली और बोली। मूसा आप हर रोज़ खुदा से बातें करने पहाड़ पर जाते है।मेरे घर कोई औलाद नहींहै आप खुदा से पूछना मेरे घर औलाद कब होगी।हज़रातमूसा ने कहा ठीक है।पूछ लूंगा इतना कह कर मूसा पहाड़ की तरफ चले गए।जब पहाड़ पर खुदा की आवाज आई तो मूसा ने कहा ।ऐ खुदा जब मैं आ रहा था तो एक औरत जिसके घर कोई औलाद नहीं है।उसने मुझे आपसे पूछने को कहा है के उसके घर पर औलाद कब होगी।खुदाने कहा मूसा तू उस औरत को जाकर बोल दे की उसकी किस्मत में औलाद का सुख नहीं है।मूसा जब पहाड़ से वापिस लौट रहे थे तो वोह औरत बड़ीबेसब्री से मूसा का इंतज़ार कर रही थी।औरत ने मूसा से पूछा के खुदा ने क्या जवाब दिया इस पर मूसा ने कहा के खुदा ने कहा है के आपके घर कोई औलाद नहीं होगी।यह सुन कर औरत ढाहे मार कर रोने लगी।कुछ समय बीत गया।शहर में एक फ़क़ीर आया और उस फ़क़ीर ने गलियों में यह आवाज़ लगायी के जो मुझे 1 रोटी देगा मैं उसको एक नेक औलाद दूंगा। यह सुन कर वोह बांज औरत जल्दी से एक रोटी बना कर ले आई।
जैसा फ़क़ीर ने कहा था वैसा ही हुआ।उस औरत के घर एक बेटा पैदा हुआ।उस औरत ने बेटे की ख़ुशी में गरीबो में खाना बांटा और डोल बजवाये।जब मूसा वहा से गुजरे तो वोह औरत मूसा से कहने लगी क्यूँ मूसा तो बड़ा खुदा वाला बनता है। तूने तो कहा था मेरे घर औलाद नहीं होगी।यह देख मेरा राजकुमार बेटा।फिर उस औरत ने उस फ़क़ीर के बारे में भी बताया।मूसा को इस बात का जवाब चाहिए था की यह कैसे हो गया।मूसा जल्दी जल्दी पहाड़ पर गए और खुदा से बातकी ऐ खुदा ये क्या अज़ीब वाकया है आपने कहा था के उस औरत के घर औलाद नहीं होगी।क्या उस फ़क़ीर के कोल में आपसे भी ज्यादा ताक़त है क्या।फिर खुदा की आवाज आई के मूसा मैं तेरी बात का जवाब बाद मेंदूंगा पहले तुम एक इंसान के गोश्त का टुकड़ा लेकर आओ।मूसा खुदाके लिए गोश्त लेने निकल जाते है।मूसा कभी इधर कभी उधर घूमते है पर गोश्त का टुकड़ा नहीं मिलता।चलते चलते मूसा किसी जंगल में पहुंचते है।
वहा पर वही फ़क़ीर मिलता है।जिसने उस औरत को बेटा दिया था।वोह फ़क़ीर मूसा को पहचानताथाउसने कहा अरे मूसा आप इस जंगल में इस वक़्त क्या कर रहे है।इस पर मूसा ने जवाब दिया।मुझे खुदा नेकिसी इंसान के गोश्त का टुकड़ा लाने को कहा है।यह सुन कर फ़क़ीर खड़ा हो गया और बोला के खुदा ने किसीइंसान का गोश्त माँगा है।उस फ़क़ीर ने कहा तुम्हारे पास कोई छुरी या चाक़ू है।मूसा ने कहा के वोह तो मैं हाथ में लेकर घूम रहा हूँ।उस फ़क़ीर ने उस चाक़ू से अपनी जाँघ से गोश्त का एक टुकड़ा काट कर मूसा को दे दिया।फिर फ़क़ीर ने कहा पता नहींखुदा ने कौंन से हिस्से का टुकड़ा माँगा है।फिर उस फ़क़ीर ने एक टुकड़ा अपनी पीठ से एक टुकड़ा अपने पेट से एक टुकड़ा अपने कंधे से एक टुकड़ा अपने मुह से दे दिया।मूसा वोह गोश्त लेकर खुदा के पास पहुंचा।और खुदा से कहा ऐ खुदा आपके हुक्म से मैं गोश्त ले आया हूँ।खुदा ने कहा यही तेरे सवाल का जवाब भी है।
जिस फ़क़ीर ने मेरे एक टुकड़ा गोश्त मांगने पर अपने जिस्मके इतने टुकड़े भेज दिए।क्या उस फ़क़ीर के दुआ करने पर मैं किसी को बेटा भी नहीं दे सकता।उस बाँज औरत के लिए दुआ तुम भी कर सकते थे पर तुमने ऐसा नहीं किया।गोश्त तो तुम्हारे शरीर पर भी थापर तुमने नहीं दिया।हमें भी खुदा और फ़क़ीर की इस चेन को समझना होगा। की खुदा और सच्चे फ़क़ीरों का रिश्ता कैसा है।हम दुनिया के जीव चाहते है के हमें सब कुछ मिल जाये मगर उसकी कीमत चुकानी न पड़े।हम सब जानते है के दुनिया की चीजो के लिए दुनिया की कीमत होती है।
हम अंधे जीव खुदा के प्यार को भी दुनिया की चीजो से हासिल करना चाहते है।मगर खुशकिस्मती से जब कामल मुर्शद खुदा के भेजे फ़क़ीर जब हमारे बीच आते है तो वोह बताते है।के बेटा खुदा से मिलने की कीमत क्या है।फ़क़ीर आकर खुदा के बच्चों से कहता है के खुदा ने तुम्हारे “अहम” का तुम्हारी “मैं””का टुकड़ा माँगा है।और बच्चों को चाहिए की खुदा के भेजे हुए उस फ़क़ीर को उस कामल मुर्शद को अपने मन में से लालच का मोह का क्रोध का काम का टुकड़ा काट कर दे देवे।ताकि हम जो कुल मालिक के बच्चे है उस खुदाके प्यार के काबिल बन सके।।।
The Rishu of fakir and God used to go to the mountain everyday to talk to God.. one day Hazrat Moses found a woman in the way and said. Moses, you go to the mountain to talk to God every day. My house is not a child, you ask God when my home will be children. Hazarātamūsā said it's okay. I will ask you so much that Moses went to the mountain. When the voice of God came upon the mountain, Moses said: O God, when I was coming, a woman whose house is not a child. He asked me to ask you when he will be children at his house. He said, " Moses, you go to the woman and tell him that there is no happiness of children in his destiny. When Moses was returning from the mountain, the woman was waiting for Moses to be a woman.
The woman asked Moses, "what did God answer he said," God has said that your home will not have any children. The woman started crying after listening to this. It's been a while. A beggar came in the city and the beggar made me cry in the streets that I would give him a good son. Listen to that the lady of the lady made a bread quickly. As the beggar said, it was the same. That Woman's house was born a son. The woman, in the joy of son, distributed food in the poor, and the dole will be on. And When Musa (Moses) said to Musa (Moses): " O Musa (Moses)! Lo! Musa (Moses) is a man of great You told me I wouldn't have children. Look at this my prince son.
Then the woman told him about that poor man. Moses should answer that how it was done. Moses quickly went to the mountains and told God, what is this strange incident, you said that he will not be a child of that woman. Is there more strength than you in that fakir's Cole? Then the voice of God said, "Moses, I will answer your words before you bring me a piece of meat." Moses goes out to take meat for self. Moses sometimes roam around and does not get a piece of meat. On the move, Moses arrived in a jungle. They get the same beggar. The one who gave a son to that woman. He said to the poor Moses, " what are you doing this time in this jungle Then Moses responded to it. I have asked God to bring a piece of meat. The poor man stood up and said, " God has asked for the meat of someone The Fakir said you have a knife or a knife. Moses said, "I am travelling with my hand." The poor man cut out a piece of meat from him and gave him a piece of meat.
Then the fakir said, 'no, God has asked for a piece of piece'. Then a piece of the poor man gave a piece from his back to a piece from his shoulder with a piece from his shoulder. Musa (Moses) came to Allah with meat. He said, " O God, I have brought the flesh by your command. God said, this is the answer to your question. The person who had sent me a piece of meat, he sent so many pieces. Can I not give a son to a beggar? You could have prayed for that lady, but you didn't do it. Meat, you did not slap your body even on your body.
We also have to understand this chain of God and fakir. How is the relationship of God and true faqīrōṁ. We want the life of the world to get everything, but do not pay the price. We all know the value of the world for the things of the world. We want the blind creatures to achieve the love of God with the things of the world. But with good luck, when it comes to God, they tell us that when they come between us, they tell them.
What is the price of meeting with God? Fakir comes to the children of God, that God has asked for your " important " Piece of your " ego "" And children should be sent to the person who sent him to the beggar of his heart and cut a piece of rage from his mind. So that we are the children of the total owner that can be able to love him. ..
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